FRIENDS MEDIA – BIHAR DESK
औरंगाबाद सांसद सुशील कुमार सिंह लोकसभा में जिले में सिंचाई व्यवस्था के साथ साथ पीने के लिए पानी की समस्या प्रति भी आवाज बुलंद की । सांसद ने कहा कि आज मैं जो विषय सदन में रखने जा रहा हूँ, वह मेरे प्रदेश बिहार के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।सत्र शुरू होने के दिन से ही मैं लगातार इस विषय को शून्यकाल में उठाने के लिए सूचना देता रहा हूं। मैं जिस दिन से इस विषय को उठा रहा हूं उस समय बिहार के 38 जिलों में से तीन जिलों को छोड़कर लगभग 35 जिले अकाल की चपेट में थे। उसके बाद स्थिति में परिवर्तन हुआ है। अब उत्तर बिहार के कुछ जिले बाढ़ की चपेट में हैं। अभी की स्थिति यह है कि बिहार का एक बहुत बड़ा हिस्सा जिसमें उत्तर बिहार के भी कई जिले हैं और दक्षिण बिहार के लगभग सारे जिले हैं, जिनमें मेरे संसदीय क्षेत्र के औरंगाबाद और गया दोनों जिले हैं।
वहां अनावृष्टि की स्थिति यह है कि धान के रोपनी की बात तो छोड़ दीजिए वहां आज के दिन पीने के पानी का भी संकट है। इस समस्या के समाधान के लिए भारत सरकार से कि एक तात्कालिक योजना बनाई जाए और इसके साथ-साथ एक दीर्घकालिक योजना भी बनाई जाए। दीर्घकालिक योजना के संबंध में, मैं सुझाव के तौर पर कहना चाहता हूं और यह मांग करना चाहता हूं कि हमारे यहाँ उत्तर कोयल सिंचाई परियोजना है और इसके साथ ही बटाने जलाशय परियोजना है।अगर इन दोनों सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करा दिया जाए, तो बहुत हद तक समस्या का समाधान हो सकता है। जो इलाके नहर के क्षेत्र में हैं सोन नहर से जिन इलाकों की सिंचाई होती है हालांकि इस नहर की भी स्थिति अच्छी नहीं है।बाणसागर डैम,जो मध्य प्रदेश में है, जिससे बिहार को पानी मिलता है,उसमें भी कमी है। सोन नदी में भी जल का अभाव है। इसके संबंध में, एक सुझाव देने के साथ ही,मैं एक मांग भी करना चाहूंगा।जैसे अभी बिहार में एक तरफ बाढ़ है और दूसरी तरफ सुखाड़ है।
अतः यह जो इनफ वॉटर है यह जो बाढ़ का पानी है फ्लड वॉटर है एक दीर्घकालिक योजना बनाकर पाइपलाइन के माध्यम से इस इनफ वॉटर को इस ज्यादा पानी को बिहार के उस हिस्से में पहुंचाया जा सकता है जहां अभी लोग पीने के पानी का भी अभाव झेल रहे हैं। साथ-साथ कुछ तात्कालिक योजनाएं भी चलेंगी, जिनसे कृषि मजदूरों का कुछ भला होगा।मेरा कुल मिलाकर पूरे बिहार के लिए और खासकर दक्षिण बिहार के गया औरंगाबाद जिले के लिए यह निवेदन है। जहां नहर नहीं है, वहां अभी तक धान का रोपन केवल दस प्रतिशत हुआ है।यह भी भारत सरकार की देन है कि वहां बिजली मुहैया हो रही है।जिससे लोगों ने बोरिंग पम्प्स से दस प्रतिशत धान का रोपनी किया है।अनावृष्टि की जो अभी स्थिति बनी हुई है,उससे वह धान बचने वाला नहीं है। खेतों में दरार खुले हुए हैं और जब बारिश होगी, तो वह फसल बचेगी अन्यथा वह नहीं बचेगी। इसलिए इस विषय पर चर्चा कराकर एक दीर्घकालिक और साथ साथ तात्कालिक योजना बनाकर इस समस्या से हम लोगों को समाधान दिलाया जाए।