औरंगाबाद। नगर थाना क्षेत्र में पूर्व में हुए विभिन्न चोरी की घटनाओं में चार नबालिग आरोपियों की माताओं ने अपने-अपने बच्चों को निर्दोष बताते हुए पुलिस की कार्यशैली पर आवाज उठाई है। इस मामले में उनलोगों ने न सिर्फ पुलिस अधीक्षक को बल्कि पुलिस महानिदेशक, पटना को एक आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई । दिए गए आवेदन में उनलोगों ने जिक्र किया है कि पुलिस अपनी विफलता को छुपाने हेतु नवालीगो के भविष्य खराब कर रही है। साथ ही कहा है कि हमलोग अलग-अलग राज्य व जिले के रहने वाले हैं। हमलोगों के पति सिंचाई विभाग में कार्यरत हैं जिसे लेकर सिंचाई विभाग के सरकारी आवास परीसर में रहते हैं। वहीं अत्यन्त पिछड़ा जाति से आते हैं। हमलोगों का कहना है कि नगर थाना क्षेत्र अन्तर्गत चोरी की घटनाओं में हमारे नाबालिग बच्चों को एक षडयंत्र के तहत फंसाया गया है। इन घटनाओं में नगर थाना कि पुलिस सही जाँच करने के बजाए नाबालिगों को मुख्यधारा से भटकाने का कार्य किया है। काण्ड संख्या- 843/23 व अन्य काण्डों में बच्चों को छठ पर्व के दिन घर से उठाकर ले गयी जबकि हमलोग छठ व्रत किये थे और हमारे बच्चे हमारे साथ छठ घाट पर जिसकी फोटो मोबाइल में है।
वहीं पुलिस कानुन के नियमों को ताक पर रखते हुए लगभग 36 घंटे थाने में मानसिक तनाव देकर व मारपीट कर एक कागज पर जबरदस्ती साईन करा के न्यायालय को सौंप दिया है। हमलोग कानुन पर भरोसा रखते हुए पुर्ण वादे के साथ कह रही हूँ कि हमलोगों का बच्चा बिल्कुल निर्दोष हैं और नगर थाना कि पुलिस अपनी विफलताओं को छुपाने हेतु बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है।
जैसा की एफ0आई0 आर0 सं0- 843/23 में कहा गया है कि गुजन कुमार सिंह उर्फ गोल के पैकेट से 375, शेरानन्द कुमार के पैकेट से 426 रुपय, राव कुमार के पास से 416 रु० बरामद किये गये। यह पैसा पर्व के नाम पर हमलोगों ने अपने-अपने बच्चों को दिये थे। ये पैसे चोरी के नहीं थे। वहीं अभिषेक कुमार उर्फ मदन के घर से इन्भर्टर तथा उसके हाथ से सोने कि अंगुठी बरामद कि गयी है। जो बिल्कुल ही केस के आई०ओ० द्वारा एक मनगढंत कहानी बनाई गयी है। हमलोगों के घर से कुछ बरामद नहीं किया गया है। अगर किया गया है तो महोदय इसकी जाँच करायी जाए। बच्चों को बाल गृह भेजने के दो दिन बाद दिनांक 24/11/23 को दोपहर जिनके घर चोरी हुई थी, उनके घर के पिछवाड़े से एक बैट्री, इभेटर मिलने के संकेत भी बता रही है। कि इस घटना जाँच पुलिस पदाधिकारीयों सही से नहीं किया। पूर्व में भी हमारे बच्चों को झूठे मुकदमें में फंसाया गया था। जिसे लेकर बच्चे काफी मानसिक तनाव में है। इस घटना की जांच किसी वरीय अधिकारियों से जांच कराकर सही आरोपी को पकड़ा जाए।