विजय कुमार श्रीवास्तव
PATNA (BIHAR) : सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को बिहटा में स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (एसडीआरएफ) मुख्यालय के निर्माणाधीन भवनों की प्रगति का जायजा लिया। इस दौरान भवन निर्माण विभाग के सचिव कुमार रवि ने साइट प्लान के माध्यम से मुख्यालय के निर्माण की विस्तृत जानकारी दी।
सचिव ने बताया कि एसडीआरएफ मुख्यालय में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस विभिन्न प्रकार के भवनों का निर्माण किया जा रहा है। इनमें प्रशासनिक भवन, 500 क्षमता का ऑडिटोरियम, 290 प्रशिक्षुओं के लिए प्रशिक्षण केंद्र, 30 जवानों की त्वरित आपदा टीम के लिए भवन, क्वार्टर मास्टर स्टोर, बाढ़ राहत प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय स्तर का स्विमिंग पूल और 108 अधिकारियों, 150 कर्मचारियों व 330 जवानों के लिए आवासीय सुविधा शामिल है।
योजना को चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जा रहा है। पहले चरण में प्रशासनिक भवन, क्वार्टर मास्टर स्टोर, प्रशिक्षण भवन, त्वरित आपदा टीम भवन, बैरक और अधिकारियों के आवास निर्माण का कार्य लगभग अंतिम चरण में है, जिसे जनवरी 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। शेष भवनों का निर्माण कार्य जून 2025 तक पूरा कर लिया जाएगा।
निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री ने निर्माण कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि एसडीआरएफ मुख्यालय के निर्माण से आपदा प्रबंधन और राहत कार्यों में राज्य को मजबूती मिलेगी। उन्होंने बताया कि एनडीआरएफ की तर्ज पर 2010 में एसडीआरएफ का गठन किया गया था। लेकिन, प्रशिक्षण केंद्र की कमी के कारण जवानों को दूसरे राज्यों में प्रशिक्षण के लिए जाना पड़ता था। नए मुख्यालय के निर्माण से यह समस्या दूर होगी, और जवानों को प्रशिक्षण व कार्यों के लिए बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यालय में जवानों और अधिकारियों के आवास, प्रशिक्षण और अन्य कार्यों के लिए विश्वस्तरीय संरचना विकसित की जा रही है। यह आपदा प्रबंधन को और प्रभावी बनाने में सहायक सिद्ध होगा।
निरीक्षण के दौरान विकास आयुक्त प्रत्यय अमृत, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ, भवन निर्माण विभाग के सचिव कुमार रवि, पथ निर्माण विभाग के सचिव संदीप पुदुकलकट्टी, पटना के जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर सिंह, वरीय पुलिस अधीक्षक राजीव मिश्रा, एसडीआरएफ के कमांडेंट मो. फरोगुद्दीन सहित अन्य वरीय अधिकारी उपस्थित रहे।
एसडीआरएफ मुख्यालय के निर्माण कार्य से राज्य की आपदा प्रबंधन प्रणाली को नई दिशा मिलेगी। इससे आपदा राहत कार्यों में तेजी और प्रभावशीलता आएगी, और राज्य के जवानों को अत्याधुनिक प्रशिक्षण एवं सुविधाएं मिलेंगी।