थाना बना मजाक : चोरी के  आरोपी थाना से हुए फरार , बेखबर सोती रही पुलिस

औरंगाबाद, बिहार।
जिले के गोह प्रखंड अंतर्गत देवकुंड थाना से एक बेहद शर्मनाक घटना सामने आई है, जिससे पुलिस प्रशासन की कार्यशैली और सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं। लॉकेट चोरी के आरोप में गिरफ्तार किए गए दो नाबालिग समेत चार आरोपी थाना की खिड़की तोड़कर फरार हो गए। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि इसकी जानकारी खुद थाना चौकीदार ने अगले दिन सुबह आरोपियों के घर पहुंचकर दी।

पुलिस ने बुधवार को लॉकेट चोरी के मामले में सोनू कुमार और दो किशोरों को गिरफ्तार किया था। साथ ही चोरी का सामान खरीदने के आरोप में आदित्य उर्फ रम्भु को पकड़ा गया था। सभी को देवकुंड थाना में बंद कर पूछताछ की जा रही थी। गुरुवार की रात उनके परिजन खाना देने थाने पहुंचे, उस वक्त सभी चारों आरोपी थाने में ही मौजूद थे।

सुबह हुई खुलासे से पुलिस महकमे में हड़कंप

शुक्रवार की सुबह थाना चौकीदार सुरेश यादव खुद आरोपियों के घर पहुंचा और पूछताछ शुरू कर दी। जब परिजनों ने पूछा कि थाने में बंद लोग घर कैसे आ गए, तो चौकीदार का जवाब था — “शायद कपड़े लेने घर आया होगा।” यह बात सुनकर परिजन भी सन्न रह गए।

पुलिस पर महिलाओं को धमकाने और अभद्रता का आरोप

फरारी के बाद पुलिस ने आरोपियों के घरों में छापेमारी शुरू की, लेकिन इस दौरान महिलाओं के साथ पुलिस का व्यवहार चर्चा में आ गया। आदित्य की पत्नी खुशबू कुमारी ने कहा, “मेरे पति को सिर्फ लॉकेट खरीदने के आरोप में पकड़ा गया था। अब पुलिस हमें धमका रही है कि अगर पति को नहीं लाए तो जेल भेज देंगे। हमारे मोबाइल तक छीन लिए गए हैं।”

इसी तरह सोनू कुमार की पत्नी गुलशन देवी ने कहा, “पुलिस ने हमारे घर में घुसकर गाली-गलौज की। डरा-धमका रही है कि पति को नहीं लाए तो हमें भी उठा ले जाएगी। क्या यही कानून का पालन है?”

कहीं से कोई जवाबदेही नहीं, थाने की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल

देवकुंड थाना से चार आरोपियों का यूं खिड़की तोड़कर फरार हो जाना पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलता है। सबसे गंभीर बात यह है कि इस फरारी की जानकारी न तो उच्चाधिकारियों को रात में थी और न ही थाने के जवानों ने कोई तत्परता दिखाई।

जनता में रोष, पुलिस की कार्यशैली पर उठे सवाल

इस घटना के बाद क्षेत्रीय जनता और सामाजिक कार्यकर्ताओं में भारी रोष है। एक ओर तो पुलिस थाने में आरोपियों को सुरक्षित नहीं रख पा रही, वहीं दूसरी ओर परिजनों और महिलाओं को परेशान कर रही है।

क्या कहता है कानून, और कहां है जवाबदेही?

इस पूरे मामले ने न सिर्फ देवकुंड थाना की लापरवाही उजागर की है, बल्कि बिहार की पुलिस व्यवस्था पर भी गहरा प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है। अब देखना होगा कि फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के साथ-साथ पुलिसकर्मियों की जिम्मेदारी तय होती है या नहीं।

(यह खबर स्थानीय संवाददाताओं और पीड़ित पक्षों के बयानों पर आधारित है। पुलिस प्रशासन की ओर से इस मामले पर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।)