AURANGABAD – बिहार में पूर्ण शराबबंदी को लागू करने में एक ओर जहां प्रशासन की टीम जुटी है वहीं न्यायालय का रुख भी सख्त है। पहली बार शराब का सेवन करने के बाद न्यायालय द्वारा जुर्माना जमा करा कर और कड़ी चेतावनी देकर रिहा कर दिया जाता है परंतु यदि दूसरी बार फिर वही गलती करने पर सजा सुनाई जाती है।बतादें की व्यवहार न्यायालय औरंगाबाद के स्पेशल उत्पाद कोर्ट दो नीतीश कुमार ने उत्पाद वाद संख्या 265/22 में निर्णय पर सुनवाई करते हुए एकमात्र अभियुक्त को बिहार मध निषेध उत्पाद संसोधन अधिनियम 2022 के धारा 37 में दोषी पाते हुए एक साल कारावास की सजा सुनाई है।
विधि विभाग के उत्पाद परामर्शी कुमार सम्भव ने बताया कि अभियुक्त योगेन्द्र प्रसाद मेहता खियाखाप रफीगंज को दुबारा शराब पीने के आरोप में भदवां मोड़ रफीगंज में 28/11/22 को गिरफ्तार किया गया था जिसमें ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट से पता चला कि 100एम एल पी है इससे पहले 09/11/22 को शराब पीने पर गिरफ्तार कर अर्थदंड लगाया गया था ।अभियोजन की ओर से दो गवाही हुए स्पेशल पीपी कुमार योगेन्द्र नारायण सिंह ने बताया कि अभियुक्त को अपील वास्ते सीआरपीसी की धारा 389 का लाभ दिया गया है। हालांकि इतनी कड़ी सजा व जांच के बावजूद भी शराब कारोबारी व सेवन करने वाले नही मान रहे हैं। इधर पुलिस भी लगातार विशेष अभियान चलाकर शराब कारोबारी व सेवन करने वालों की बक्स रही है। यही कारण है कि हरदिन ऐसे लोग पकड़े जा रहे हैं।