काठमांडू/काठमांडू घाटी:
नेपाल इन दिनों भीषण राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल से गुजर रहा है। सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ शुरू हुआ छात्रों और युवाओं का आंदोलन अब देशव्यापी हिंसक विद्रोह में बदल चुका है। बीते 48 घंटों में भड़की आगजनी और झड़पों में कम से कम 19 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि सैकड़ों घायल हैं।
प्रधानमंत्री ओली ने दिया इस्तीफा
भारी दबाव और हिंसा की घटनाओं के बीच प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि हालात को संभालने और संविधानिक समाधान का रास्ता निकालने के लिए उनका हटना आवश्यक है।
वित्त मंत्री और पूर्व पीएम पर हमला
सड़कों पर उतरे गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने कई बड़े नेताओं को निशाना बनाया।
वित्त मंत्री व उप-प्रधानमंत्री विष्णु प्रसाद पौडेल को भीड़ ने दौड़ा-दौड़ाकर पीटा और लात-घूसों से हमला किया।
पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा और उनकी पत्नी अरजू देउबा पर भी हमला हुआ, जिसमें दोनों घायल बताए जा रहे हैं।
संसद भवन, पीएम आवास और सुप्रीम कोर्ट में आगजनी
प्रदर्शनकारियों का गुस्सा सिर्फ नेताओं तक सीमित नहीं रहा।
काठमांडू स्थित संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, सिंहदरबार सचिवालय, राष्ट्रपति भवन और पीएम आवास समेत कई सरकारी ठिकानों पर हमला कर आगजनी की गई।
पीएम ओली का निजी आवास भी प्रदर्शनकारियों ने जला डाला।
कई मंत्रियों और राजनीतिक दलों के दफ्तरों को भी आग के हवाले कर दिया गया।
सोशल मीडिया बैन वापस
प्रदर्शन की असली चिंगारी सरकार द्वारा लगाए गए 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के बैन से भड़की थी। युवाओं का कहना था कि सरकार भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के बजाय उनकी अभिव्यक्ति की आज़ादी छीन रही है।
हिंसा बढ़ने और मौतों के बाद सरकार को झुकना पड़ा और बैन हटाने की घोषणा करनी पड़ी। साथ ही मृतकों के परिवार को मुआवजा और घायलों का मुफ्त इलाज करने का ऐलान भी किया गया।
सीमा बंद, हवाई अड्डा ठप
काठमांडू स्थित त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बंद कर दिया गया है। कई इलाकों में कर्फ्यू लगा है। भारत-नेपाल सीमा पर भी कड़ी निगरानी की जा रही है ताकि हिंसा की लपटें सीमा पार न फैलें।
DSP हत्या की अफवाह
सोशल मीडिया पर खबर फैली कि प्रदर्शनकारियों ने गोली चलाने का आदेश देने वाले एक DSP को पीट-पीटकर मार डाला है। लेकिन अब तक किसी विश्वसनीय समाचार स्रोत ने इस घटना की पुष्टि नहीं की है। इसे फिलहाल अफवाह ही माना जा रहा है।
नेपाल की स्थिति बेहद नाजुक है। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध हटाए जाने के बावजूद युवाओं का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा। बेरोज़गारी और भ्रष्टाचार को लेकर ‘Gen Z’ की यह बगावत नेपाल की राजनीति में बड़े बदलाव की आहट दे रही है।