औरंगाबाद का ‘मौत का नाला’ — हर साल छिनती मासूम जान, नेताओं के बयानबाज़ी और प्रशासन की लापरवाही में डूबता बचपन!

औरंगाबाद शहर का टिकरी मुहल्ला (वार्ड 14 और 24 के बीच) शनिवार शाम एक और हादसे का गवाह बन गया। वार्ड 15 निवासी मो. रहमद का 8 वर्षीय पुत्र हमजा खेलते-खेलते पैर फिसलकर नाले में गिरा और तेज बहाव में बह गया। 24 घंटे बीत जाने के बाद भी मासूम का कोई सुराग नहीं!

रविवार सुबह से ही मोहल्ले के सैकड़ों लोग घटनास्थल पर जमा हो गए। पूरे दिन एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और मछुआरे तलाशी में जुटे रहे, लेकिन नतीजा सिफर रहा। इधर, लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने जिला प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

सड़क जाम और उबाल
आक्रोशित भीड़ ने जामा मस्जिद के पास सड़क जाम करने की कोशिश की। नगर थाना पुलिस मौके पर पहुंची और भीड़ को शांत कराने की कोशिश की, लेकिन लोगों ने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी जारी रखी।

महिलाओं का सीधा टकराव
शाम करीब 6:30 बजे जब डीएम श्रीकांत शास्त्री और एसपी अम्बरीष राहुल आवश्यक निर्देश देकर लौटने लगे, तो मोहल्ले की महिलाओं ने उनका रास्ता रोक लिया। महिलाओं का आरोप था —

“अगर कल से ही तेजी से तलाशी का काम होता, तो बच्चा बच सकता था। देर और लापरवाही से हमारी संतान बह गई।”

महिलाओं की जिद और गुस्से के बीच माहौल इतना गरम हो गया कि थानाध्यक्ष उपेंद्र कुमार सिंह को महिला पुलिस बल बुलाना पड़ा, जिसके बाद ही अधिकारी वहां से निकल पाए।

 हर साल मौत, पर नेताओं की नींद नहीं टूटती
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह नाला अब ‘मौत का नाला’ बन चुका है — हर साल इसी जगह एक मासूम की जान जाती है, लेकिन नाला ढकने, सुरक्षात्मक दीवार बनाने या चेतावनी बोर्ड लगाने तक की जहमत प्रशासन और नेताओं ने नहीं उठाई।

पूर्व सांसद का आरोप
मौके पर पहुंचे औरंगाबाद भाजपा के पूर्व सांसद सुशील कुमार सिंह ने घटना को “शहर के लिए कलंक” बताया और जिला प्रशासन को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा —

> “शहर के बीचोंबीच बच्चों के लिए मौत का जाल बिछा है, फिर भी जिम्मेदार सो रहे हैं। आज हमजा है, कल किसी और का बच्चा होगा।”

जनता की चेतावनी
गुस्साए लोगों ने साफ कहा — अगर इस नाले को तुरंत ढककर सुरक्षित नहीं किया गया, तो जन आंदोलन और प्रशासन का घेराव होगा।
यह हादसा नहीं, बल्कि जिम्मेदारों की लापरवाही और नेताओं की उदासीनता का जीता-जागता सबूत है।