ओबरा में प्रकाश चंद्रा की नई पहल — जातीय राजनीति से आगे, विकास पर फोकस”

औरंगाबाद/बिहार
ओबरा विधानसभा सीट इस बार एक अलग तरह के चुनावी समीकरण की गवाह बन रही है। यह वही सीट है जहाँ अब तक जातीय गणित ही जीत-हार तय करता रहा है, लेकिन इस बार माहौल कुछ बदला-बदला सा दिख रहा है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के उम्मीदवार प्रकाश चंद्रा पारंपरिक राजनीति से अलग एक नया संदेश देने की कोशिश में हैं — “विकास पहले, विभाजन बाद में।”

पुराने समीकरणों का नया इम्तिहान

ओबरा का राजनीतिक इतिहास बताता है कि यहां की सियासत हमेशा जातीय संतुलन के इर्द-गिर्द घूमती रही है। कभी आरजेडी, तो कभी वाम दलों का दबदबा — यही ओबरा की पहचान रही है। पिछली बार आरजेडी के उम्मीदवार ऋषि कुमार ने बड़ी बढ़त के साथ जीत दर्ज की थी। लेकिन इस बार हालात पहले जैसे नहीं हैं। युवाओं की नई सोच और स्थानीय मुद्दों ने माहौल को बदला है।

प्रकाश चंद्रा की नई पारी — जनसेवा के दम पर राजनीति

प्रकाश चंद्रा खुद को “जनसेवक” कहकर पेश करते हैं, न कि परंपरागत राजनेता के रूप में। उनका कहना है कि बीते पांच वर्षों में उन्होंने बिना पद या सत्ता के, क्षेत्र के लोगों के बीच रहकर काम किया है। सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और युवाओं के रोजगार जैसे मुद्दों पर उनका लगातार फोकस रहा है।
वे कहते हैं — “ओबरा सिर्फ जातियों का जोड़ नहीं, बल्कि सपनों का घर है। यहां का हर नागरिक बदलाव चाहता है, और मैं उसी बदलाव का हिस्सा बनना चाहता हूं।”

मतदाताओं के बीच नई चर्चा

चुनावी माहौल के बीच लोगों के बीच यह चर्चा आम है कि क्या ओबरा का मतदाता इस बार जातीय परंपरा को तोड़ पाएगा? गांवों और कस्बों में लोग विकास, बेरोज़गारी और शिक्षा जैसे मुद्दों पर खुलकर बात कर रहे हैं। खास बात यह है कि पहली बार वोट देने वाले युवा, प्रचार अभियानों से ज्यादा “काम करने वाले उम्मीदवार” पर चर्चा करते दिख रहे हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों की राय

स्थानीय राजनीतिक जानकार मानते हैं कि प्रकाश चंद्रा की रणनीति जोखिम भरी जरूर है, लेकिन यह ओबरा की राजनीति में नई सोच का प्रतीक है। अगर उनका यह प्रयास सफल होता है, तो यह न केवल विधानसभा क्षेत्र, बल्कि पूरे जिले की राजनीति में नई दिशा दे सकता है।