औरंगाबाद, 5 जून 2025 — ज़िले के बभंडी क्षेत्र स्थित बाल संरक्षण संस्थानों की हकीकत सामने आते ही जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया। जिला पदाधिकारी श्री श्रीकांत शास्त्री की अध्यक्षता में जिला निरीक्षण समिति द्वारा किए गए औचक निरीक्षण में चौंकाने वाली लापरवाहियां उजागर हुईं। बाल गृह यूनिट-01, वृहद आश्रय गृह में बच्चों की सुरक्षा और सफाई व्यवस्था बुरी तरह से चरमराई हुई मिली।
निरीक्षण के समय संस्था में कुल 41 बच्चे मौजूद थे, लेकिन परिसर में गंदगी और अव्यवस्था का आलम देख जिला पदाधिकारी ने कड़ी नाराजगी जाहिर की। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए गृह अधीक्षक का एक दिन का मानदेय काटने का आदेश जारी किया गया।
सबसे चिंताजनक बात यह रही कि बच्चों की सुरक्षा से जुड़ी बड़ी चूक सामने आई — भवन की छतों पर निकासी द्वार खुले मिले, जिससे किसी भी अनहोनी की आशंका बनी रहती है। इस पर डीएम ने तत्काल दोनों छतों पर लोहे के सुरक्षा गेट लगाने का निर्देश दिया।
इसके बाद निरीक्षण समिति ने विधि विरुद्ध बालकों के लिए संचालित सुरक्षित स्थान का भी जायजा लिया, जहां 86 बच्चे निवासरत पाए गए। यहां भी हालत कुछ बेहतर नहीं थी — वार्ड और गैलरी की फर्श गंदगी से अटी पड़ी मिली। साफ-सफाई की बदहाली को लेकर अधीक्षक को सख्त निर्देश दिए गए कि अविलंब सुधारात्मक कदम उठाए जाएं।
हालांकि शिक्षण व्यवस्था संतोषजनक पाई गई और सभी एजुकेटर बच्चों को नियमित पढ़ाते मिले, लेकिन बाकी बुनियादी व्यवस्थाओं की बदहाली ने यह साबित कर दिया कि बच्चों की देखभाल केवल कागजों तक ही सीमित है।
निष्कर्ष:
बच्चों के संरक्षण के नाम पर चल रही इन संस्थाओं की ज़मीनी सच्चाई बेहद चिंताजनक है। जिन संस्थानों को बच्चों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और विकास की जिम्मेदारी दी गई है, वहां इस तरह की लापरवाहियां न केवल प्रशासनिक विफलता को उजागर करती हैं, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करती हैं कि आखिर इन बच्चों की सुध कौन लेगा?
उपस्थित अधिकारी:
इस निरीक्षण में उप विकास आयुक्त श्रीमती अनन्या सिंह, सदर एसडीओ श्री संतन कुमार सिंह, सीएमओ श्री विनोद कुमार सिंह, पुलिस उपाधीक्षक (मुख्यालय), बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (शिक्षा), बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष एवं सामाजिक कार्यकर्ता श्री अरुण कुमार सिंह उपस्थित रहे।