AURANGABAD : पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या को लेकर पत्रकारों ने दी श्रद्धांजलि, दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग
छत्तीसगढ़ । छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में चर्चित युवा पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। यह हत्या कथित तौर पर भ्रष्टाचार के खिलाफ खबर दिखाने के कारण की गई है। मुकेश चंद्राकर ने बीजापुर और बस्तर सहित अन्य आदिवासी क्षेत्रों में जनता और आदिवासियों की आवाज बनकर कई साहसिक रिपोर्टिंग की थी। उनकी हत्या के बाद देशभर के पत्रकारों में गुस्से का माहौल है, वहीं राजनीतिक और सामाजिक हलकों में भी इस घटना की कड़ी निंदा हो रही है।
औरंगाबाद में श्रद्धांजलि सभा, न्याय की मांग उठी
मुकेश चंद्राकर की हत्या के विरोध में बिहार के औरंगाबाद के पत्रकारों ने एक श्रद्धांजलि सभा आयोजित की। इस दौरान उनकी तस्वीर पर पुष्प अर्पित किए गए और उनकी आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा गया। श्रद्धांजलि सभा में पत्रकारों ने दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग की। साथ ही दिवंगत पत्रकार के परिवार को मुआवजा और सरकारी नौकरी प्रदान करने की भी अपील की।
पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर कानून बनाने की मांग
सभा में प्रेस क्लब औरंगाबाद के अध्यक्ष सुजीत सिंह ने कहा, “देश में पत्रकारों की सुरक्षा के लिए विशेष कानून नहीं है। जहां कानून मौजूद है, वहां भी अपराधियों और भ्रष्टाचारियों में कोई भय नहीं है। पत्रकार समाज की आवाज बनते हैं और निष्पक्षता से खबरें दिखाते हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा को लेकर सरकारें गंभीर नहीं दिखतीं।”
सभा में उपस्थित अन्य पत्रकारों ने भी अपने विचार साझा किए और कहा कि इस घटना से देश में पत्रकारिता के लिए खतरे की घंटी बज चुकी है। सभा में अरविंद सिंह, आशुतोष मिश्रा, आदित्य सिंह, नीरज सिंह, राजेश मिश्रा, धीरेंद्र पांडेय, अनिल कुमार राव, चित्तरंजन कुमार, अंकित कुमार सहित अन्य पत्रकार उपस्थित रहे।
पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर सवाल
मुकेश चंद्राकर की हत्या ने पत्रकारिता की स्वतंत्रता और पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना न केवल पत्रकारिता जगत के लिए एक चुनौती है, बल्कि समाज के लिए भी आत्ममंथन का अवसर है। पत्रकार संगठनों ने सरकार से अपील की है कि पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े कानून बनाए जाएं और दोषियों को सख्त सजा दी जाए।
यह मामला अब राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है और पत्रकार समुदाय सरकार से त्वरित और कड़े कदम उठाने की उम्मीद कर रहा है।