औरंगाबाद।
2 अक्टूबर का दिन इस बार जिलेवासियों के लिए खास और अनोखा रहा। जहां एक ओर पूरे देश में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती धूमधाम से मनाई गई, वहीं दूसरी ओर विजयदशमी का रावण दहन बारिश के कारण फीका पड़ गया।
समाहरणालय परिसर में आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में पुलिस अधीक्षक अमरीश राहुल और उप विकास आयुक्त अनन्या सिंह समेत कई पदाधिकारियों ने महापुरुषों की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया। अधिकारियों एवं कर्मियों ने गांधी जी द्वारा दिए गए सत्य, अहिंसा, सद्भावना और स्वच्छता के संदेशों को जीवन में अपनाने का संकल्प लिया। साथ ही शास्त्री जी के “जय जवान, जय किसान” के नारे को देश की प्रगति और समृद्धि का आधार मानते हुए उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लिया।
लेकिन जिले में विजयदशमी का उत्सव इस बार कुछ खास नहीं रहा। रावण दहन के लिए मैदानों में जुटे लोगों को बारिश ने निराश कर दिया। कई जगहों पर रावण की मूर्ति भीगकर इतनी भारी हो गई कि उसे जलाना मुश्किल हो गया। बच्चों ने तो मजाक में कहा—“आज गांधी जी की अहिंसा का असर हो गया है, इसलिए रावण को भी माफी मिल गई।”
सोशल मीडिया पर भी इस अनोखी संयोग को लेकर मजेदार पोस्ट्स छाए रहे। किसी ने लिखा—“गांधी जयंती पर अहिंसा का संदेश, और मौसम देवता ने उसी का पालन किया।” तो किसी ने चुटकी ली—“शास्त्री जी का जय किसान का नारा तो गूंजा, पर रावण इस बार जलने से पहले ही ‘जय बारिश’ बोल बैठा।”
कुल मिलाकर, जहां गांधी और शास्त्री जयंती का समारोह पूरे उत्साह और गरिमा के साथ सम्पन्न हुआ, वहीं रावण दहन पर बारिश की बूंदों ने पर्दा डाल दिया।