AURANGABAD : भारतमाला परियोजना: ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के लिए किसानों की समस्याएं, मुआवजे की कमी पर उग्र हुआ विरोध

औरंगाबाद । सोमवार को अम्बा प्रखंड मुख्यालय के बहुउद्देश्यीय भवन में भारतमाला परियोजना के तहत बनने वाली ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे को लेकर एक विशेष कैम्प का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में उप जिला समाहर्ता ललित भूषण रंजन, भू-अर्जन पदाधिकारी सच्चिदानंद सुमन, और एनएचएआई के अधिकारियों ने किसानों की समस्याएं सुनी। इस दौरान अंचलाधिकारी चंद्रप्रकाश समेत सैकड़ों किसान उपस्थित रहे, जो इस परियोजना से प्रभावित हैं।

किसानों की मुख्य समस्याएं: कम मुआवजा और भ्रष्टाचार

किसानों ने मुख्य रूप से कम मुआवजे की शिकायत की और भूमि अधिग्रहण से संबंधित कागजात तैयार करने में हो रही दिक्कतों और भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया। किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष बीरेंद्र पांडेय ने अधिकारियों को बताया कि सरकार जमीन के बाजार मूल्य और मुआवजे के तय मूल्य के बीच बड़े अंतर के बावजूद किसानों को उचित दर नहीं दे रही है। उन्होंने कहा, “2013 में हुए भूमि अधिग्रहण कानून में सुधार के बावजूद उस पर अमल नहीं किया जा रहा है। यह हमारे साथ सरासर अन्याय है।”

महंगाई दर और सर्किल रेट के आधार पर मुआवजा बढ़ाने की मांग

प्रभावित किसान राज कुमार सिंह ने सवाल किया कि राज्य सरकार ने सर्किल रेट को हर साल महंगाई दर के अनुसार बढ़ाने का नियम बनाया है, लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा। उन्होंने पूछा, “अगर कुछ किसानों द्वारा दायर किए गए वाद का फैसला उनके पक्ष में आता है, तो इसका लाभ सभी किसानों को मिलेगा या सिर्फ वाद दायर करने वालों को?” अधिकारियों ने इस सवाल का सीधा जवाब नहीं दिया और इसे उच्चाधिकारियों पर छोड़ दिया।

भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के गंभीर आरोप

कैम्प में कई किसानों ने कागजात तैयार करने में हो रही समस्याओं के लिए भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों को जिम्मेदार ठहराया। चिरैयाँटांड़ गांव के किसान ओमकार सिंह ने रिश्वतखोरी का आरोप लगाते हुए कहा कि “बड़े अधिकारियों के नाम पर हल्का कर्मचारी रिश्वत उगाही कर रहे हैं। यहां दलालों का नेटवर्क बना हुआ है, जो गरीब किसानों को परेशान कर रहा है।”

सरकार और अधिकारियों पर किसानों का असंतोष

किसानों ने सरकार और अधिकारियों पर आरोप लगाया कि वे जनता के साथ अंग्रेजी शासन जैसा व्यवहार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उचित मुआवजा और पारदर्शी प्रक्रिया किसानों का हक है। हालांकि, अधिकारियों ने कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया, जिससे किसानों में और असंतोष फैल गया।

इस कैम्प में कपिलदेव सिंह, उमाकांत सिंह, अनिल सिंह, वशिष्ठ प्रसाद सिंह, दया सिंह, धर्मेंद्र सिंह, नंदकिशोर सिंह, जगरनाथ सिंह, राजेन्द्र सिंह, सुमंत सिंह, जगत सिंह, राकेश सिंह, संजात सिंह, विक्की सिंह समेत सैकड़ों किसान उपस्थित थे।

इस कैम्प में किसानों की समस्याओं को सुना जरूर गया, लेकिन उनके समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। किसानों ने स्पष्ट किया है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेंगे। सरकार और प्रशासन को अब इस मामले में सक्रिय होकर समाधान निकालने की आवश्यकता है।

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