
औरंगाबाद जिला मुख्यालय स्थित अदालत परिसर में मंगलवार को एक मानवीय घटना सामने आई, जिसने जिला विधिक सेवा प्राधिकार (DLSA) की संवेदनशीलता और त्वरित कार्रवाई को एक बार फिर सिद्ध कर दिया।
जानकारी के अनुसार, बनाही गांव निवासी आकाश कुमार, पिता मुन्ना चौधरी, अपनी मां के साथ कोर्ट में किसी न्यायायिक कार्य के लिए आया था। भीड़भाड़ और प्रक्रियाओं के बीच आकाश अचानक अपनी मां से बिछड़ गया और रोते हुए न्यायालय परिसर में भटकते हुए दिखाई दिया।
इस दौरान व्यवहार न्यायालय के गेट पर तैनात महिला सुरक्षा कर्मी की नज़र इस मासूम पर पड़ी। बच्चे की स्थिति को देखते हुए सुरक्षा कर्मी ने तुरंत उसे जिला विधिक सेवा प्राधिकार के कार्यालय लाकर सुरक्षित रख लिया।
इसके बाद डीएलएसए के अधिवक्ता गण और कर्मियों ने बच्चे से शांतिपूर्वक बात की, उसका नाम-पता पूछा और पहचान की पुष्टि की। टीम ने घोषणा (अलाउंस) सिस्टम के माध्यम से कोर्ट परिसर में बार-बार बच्चे की जानकारी प्रसारित करवाई, ताकि उसके परिजन तक सूचना जल्द पहुँच सके।
कुछ ही देर में उसकी मां को सूचना मिली और डीएलएसए की मदद से दोनों का पुनर्मिलन कराया गया।
यह संपूर्ण प्रक्रिया न केवल जिला विधिक सेवा प्राधिकार की संवेदनशीलता, चौकसी और त्वरित कार्रवाई को दर्शाती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि अदालत परिसर जैसे व्यस्त स्थान पर भी मानवीय दृष्टिकोण और सतर्कता बच्चों की सुरक्षा में कितनी महत्वपूर्ण होती है।
डीएलएसए की इस पहल की लोगों द्वारा व्यापक सराहना की जा रही है।







