नवीनगर – “चेतन आनंद के टिकट से जली बगावत की चिंगारी — जदयू के पुराने सिपाही ने छोड़ा मैदान!”

नबीनगर/औरंगाबाद से अमरेश कुमार की रिपोर्ट

बिहार विधानसभा चुनाव का मौसम चढ़ चुका है और नबीनगर की सियासत में अब बगावत की लपटें उठने लगी हैं। जदयू के वरिष्ठ नेता और दो बार के विधायक वीरेन्द्र कुमार सिंह ने अचानक पार्टी से इस्तीफा देकर एक बड़ा सियासी धमाका कर दिया है। उनके साथ करीब 50 से अधिक कार्यकर्ता भी जदयू को अलविदा कह चुके हैं।

वीरेन्द्र सिंह का आरोप है — “जदयू ने बाहरी प्रत्याशी को टिकट देकर स्थानीय कार्यकर्ताओं का अपमान किया है।” दरअसल, पार्टी ने नबीनगर से चेतन आनंद (आनंद मोहन के पुत्र) को प्रत्याशी बनाया है, और यही फैसला आग का कारण बन गया।

राजनीतिक गलियारों में अब सवाल उठ रहे हैं —
क्या यह “स्थानीय असंतोष” है या “व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा का विस्फोट”?

पार्टी सूत्रों की मानें तो 2020 के चुनाव में भी जदयू ने वीरेन्द्र सिंह पर भरोसा जताया था, लेकिन जनता ने नहीं।
हार के बावजूद पार्टी ने उन्हें सम्मान दिया, लेकिन इस बार टिकट कटते ही सिंह का सब्र टूट गया।

एक स्थानीय नेता ने तीखी टिप्पणी की —

“यह इस्तीफा नहीं, राजनीतिक निराशा का विस्फोट है। वीरेंद्र सिंह ने खुद अपनी जमीन खोद ली है।”

अब जदयू कैंप में बेचैनी है,जब कि महागठबंधन खेमे में मुस्कान। विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम जदयू की नबीनगर की पकड़ कमजोर कर देगा, और विरोधियों के लिए यह “गोल्डन चांस” बन सकता है।

अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि वीरेंद्र सिंह आगे क्या करेंगे —क्या वे निर्दलीय बनेंगे या किसी नए गठबंधन का दामन थामेंगे?

एक बात तो तय है —
नबीनगर की सियासत में अब मिर्ची पड़ चुकी है, और इस बार यह चुनाव सिर्फ टिकट का नहीं, “अहम बनाम अपमान” का युद्ध होगा!