औरंगाबाद (बिहार): किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधानों का लगातार हो रहा उल्लंघन एक बार फिर उजागर हुआ है। दाउदनगर थाना कांड संख्या-238/25 में जांच कर रही पुलिस अवर निरीक्षक कुमकुम कुमारी को किशोर न्याय परिषद औरंगाबाद के प्रधान दंडाधिकारी सह एसीजेएम सुशील प्रसाद सिंह ने शो-कॉज नोटिस जारी किया है।
इस मामले में अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने जानकारी देते हुए बताया कि यह मामला भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धाराएं 126(2), 115(2), 95, 3(5) और पोक्सो एक्ट की धारा 04 के तहत दर्ज किया गया है, जो कि एक जघन्य अपराध की श्रेणी में आता है।
कोर्ट द्वारा जारी शो-कॉज में प्रमुख रूप से निम्नलिखित सवाल उठाए गए हैं:
- पीड़िता का मेडिकल परीक्षण क्यों नहीं कराया गया?
- बीएनएस की धारा 183 के अंतर्गत पीड़िता का बयान क्यों नहीं दर्ज किया गया?
- थाना किशोर गृह में किशोर को 07 अप्रैल से 09 अप्रैल 2025 तक संरक्षण में क्यों रखा गया?
- विवादित वाद में विचारण संख्या का उल्लेख क्यों नहीं किया गया?
- प्रोबेशन अधिकारी को इस संबंध में सूचना क्यों नहीं दी गई?
कोर्ट ने इन सभी बिंदुओं को घोर कर्तव्यहीनता और लापरवाही का प्रतीक बताया है और इसे किशोर न्याय अधिनियम का गंभीर उल्लंघन माना है। इस पर अविलंब स्पष्टीकरण देने का निर्देश किशोर न्याय परिषद औरंगाबाद ने दिया है।
अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने आगे बताया कि इस आदेश की प्रतिलिपि पुलिस उपाधीक्षक (मुख्यालय वन), पुलिस अधीक्षक औरंगाबाद, पुलिस उपमहानिरीक्षक, पुलिस महानिरीक्षक तथा पुलिस महानिदेशक को भेजी गई है, ताकि उच्च स्तर पर भी इस मामले की समीक्षा की जा सके।
यह मामला न केवल पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है, बल्कि किशोर न्याय से जुड़े संवेदनशील मामलों में लापरवाही के गंभीर नतीजे भी उजागर करता है।