औरंगाबाद बिहार । छात्रा श्रेया हत्याकांड को लेकर निर्वतमान सांसद सुशील कुमार सिंह ने एस.पी को एक पत्र लिखा है। लिखे पत्र में पूछा है कि श्रेया की माँ द्वारा बेटी की गुमसूदगी की सूचना देने पर पुलिस ने इसे गंभीरता से क्यों नहीं लिया। उन्होंने जानना चाहा कि क्या पुलिस ने श्रेया की गुमसूदगी का प्रचार चित्र सहित औरंगाबाद और आसपास के जिलों में किया था या नहीं, और यदि नहीं किया तो क्यों?
सुशील कुमार सिंह ने पुलिस को सलाह दी कि ऐसे मामलों में जांच केवल एक दिशा में सीमित न रखी जाए, बल्कि सभी संभावनाओं को खुला रखा जाए। उन्होंने कहा कि घटना स्थल, समय और घटना को अंजाम देने वाले के विषय में स्पष्ट जानकारी न होने पर पुलिस की नजरें चौतरफा होनी चाहिए।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर भी जताया सन्देह
श्री सिंह ने अंत्य परीक्षण रिपोर्ट में जीवित अवस्था में पानी में डूबने और मरने की बात पर संदेह व्यक्त किया और कहा कि यह संभव हो सकता है कि लड़की को हत्या की नियत से पानी में ढकेला गया हो। उन्होंने तेजाब या चोट के निशान न पाए जाने पर कहा कि 60 घंटे बाद शव की स्थिति ऐसी नहीं रहती कि निशान स्पष्ट हों।
उन्होंने ने अंत्य परीक्षण की प्रक्रिया पर सवाल उठाया, यह कहते हुए कि शव रोहतास जिले में लावारिस लाश के रूप में बरामद हुआ और बिना मेडिकल बोर्ड के हल्के तरीके से अंत्य परीक्षण किया गया। उन्होंने पुलिस से घटना की शुरुआत से लेकर शव बरामद होने तक के श्रोतों को गंभीरता से खंगालने और तकनीकी माध्यमों (CDR) का सहारा लेने की आवश्यकता बताई। निर्वतमान सांसद ने घटना को गहरी साजिश के तहत अंजाम दिया गया होने का संदेह जताया और कहा कि आत्महत्या की स्थिति में लड़की नदी के पूर्वी छोर (जो औरंगाबाद का हिस्सा है) की बजाय दूसरे जिले रोहतास में क्यों गई।
श्री सिंह ने पुलिस से अपेक्षा की कि वे पूर्व में हुई लापरवाही को सुधारते हुए अब गंभीरता से जांच करें और ठोस सबूतों के साथ दोषियों पर कार्रवाई करें। उन्होंने कहा कि यह मामला अत्यंत गंभीर है और समाज में शांति व कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सही दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने ने पुलिस से उम्मीद जताई कि वे घटना का सही उद्भेदन करने के लिए हर संभव कार्रवाई पूरी चौकसी के साथ करेंगे, ताकि आम जनता भयमुक्त वातावरण में रह सके।