हिमाचल देवभूमि तो बिहार देवों की भूमि -न्यायमूर्ति
औरंगाबाद जिले में नये व्यवहार न्यायालय का उद्घाटन शनिवार को पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति संजय करोल, न्यायमूर्ति संदीप कुमार व न्यायमूर्ति सह निरीक्षी जज राजीव राय ने संयुक्त रूप से किया। न्यायमूर्तियों ने नए व्यवहार न्यायालय के परिसर में वृक्षारोपण भी किया। इसके अलावा पालना घर का भी उद्घाटन भी मुख्य न्यायमूर्ति द्वारा किया गया। उद्घाटन मंच पर तीनों न्याय मूर्तियों के अलावा जिला जज मनोज कुमार तिवारी व स्पेशल पीपी कुमार योगेन्द्र नारायण सिह ने दीप प्रज्ज्वलन किया। स्वागत भाषण जिला जज मनोज कुमार तिवारी व निरीक्षी जज ने अभिनंदन किया। उनके बाद न्यायमूर्ति संदीप कुमार ने अपने संबोधन में औरंगाबाद के न्यायिक पदाधिकारियों के कार्यों की प्रशंसा की। मुख्य न्यायमूर्ति संजय करोल ने युवा अधिवक्ताओं से कहा कि आपका बार यंग बार है। उन्होंने न्यायिक दंडाधिकारियों से आग्रह किया कि आप सभी लोग औरंगाबाद जिला के मुकदमों में ऐसा फैसला दे कि पक्षकार को न अपील करना पड़े न दलील देना पड़े। ऐसा आदर्श स्थापित करें कि औरंगाबाद के लोगों को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में न्याय के लिए जाने की जरूरत ही महसूस ना हो।
न्यायमूर्ति ने यह भी कहा कि अधिकांश किसान, मजदूर व गरीबों को न्याय के लिए लम्बी लड़ाई लड़ना संभव नहीं हो सकता है। फैसला भले किसी के पक्ष या खिलाफ हो, मगर फैसला में न्याय निहित हो। उन्होंने यह नसीहत भी दी कि वाद की प्रकिया तेज़ी से क्रियान्वयन के लिए जिला जज, जिला पदाधिकारी, आरक्षी अधीक्षक, सिविल सर्जन समय समय पर समीक्षात्मक बैठक भी करें। उन्होंने स्मरण दिलाया कि कोरोना काल में भी आम आदमी के मौलिक अधिकार सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट हमेशा खुली रही है। न्यायमूर्ति ने खासतौर से दंडाधिकारियों से कहा कि जब हम न्याय करते हैं, फैसला करते हैं तो जजमेंट केवल काली स्याही के दस्तावेज नहीं होती वह किसी के आंसू पोंछने के काम भी आना चाहिए। उन्होंने आह्वान किया कि
औरंगाबाद में भी एक कोर्ट ऐसा बनाएं जहां सभी कार्य ऑनलाइन संपादित हो। फाइलिग से लेकर गवाही, बहस, जजमेंट तक ऑनलाइन हो। इससे बहुत फायदे होंगे। न्यायमूर्ति ने कहा कि यहां कुल 6० हजार केस में 11 हजार वाद उत्पाद विभाग से संबंधित हैं, जिससे न्यायालय पर भार बढ़ा है। इस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ केस ऐसे आ रहे हैं। जिस पर नाम किसी का, और कब्जा किसी ओर का होता है। न्यायधीशों से अनुरोध है कि प्रोसेस पनीसमेंट न बन जाए, इसलिए वाद निष्पादन में समय पर ध्यान दें।
कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन प्रधान न्यायाधीश कृष्णकांत त्रिपाठी ने किया। कार्यक्रम के समापन के बाद पटना हाईकोर्ट के न्यायमूर्तियों और व्यवहार न्यायालय के सभी न्यायिक दंडाधिकारियों ने नये व्यवहार न्यायालय का अवलोकन किया। कार्यक्रम में जिला विधिक सेवा प्राधिकार औरंगाबाद के सचिव प्रणव शंकर, जिला पदाधिकारी सौरव जोरवाल, आरक्षी अधीक्षक कांतेश मिश्रा, अंचलाधिकारी, लोक अभियोजक पुष्कर अग्रवाल, जिला विधिक संघ के अध्यक्ष रसिक बिहारी सिह, महासचिव नागेंद्र सिह, अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष संजय सिह, महासचिव विद्यार्थी, दाउदनगर विधि संघ के अध्यक्ष, सचिव, और स्पेशल पीपी, एपीपी तथा तमाम अधिवक्ता और न्यायिक कर्मचारीगण उपस्थित थे।