AURANGABAD: सीओ के बयान पर वाराणसी-कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का मामला पकड़ा तूल, बैंरग लौट रही है निर्माण कम्पनियां

औरंगाबाद

भारतमाला परियोजना के अंतर्गत निर्माणाधीन वाराणसी-कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे में किसानों को बिना मुआवजा दिए जबरन काम करवाने का मुद्दा दिनोंदिन गंभीर होता जा रहा है। पिछले कुछ हफ्तों से, किसानों के विरोध के बावजूद प्रशासन और निर्माण कंपनी को बार-बार खाली हाथ लौटना पड़ा है।

इस विवाद ने तब अधिक तूल पकड़ा जब 13 जुलाई को नबीनगर अंचल की अंचलाधिकारी सुश्री निकहत परवीन ने प्रशासनिक दल-बल के साथ बेनी गांव का दौरा किया। वहां उन्होंने किसानों को धमकाते हुए कहा कि ये जमीनें उनकी नहीं, बल्कि सरकार की हैं और वे केवल किरायेदार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि बिना मुआवजा दिए सरकार काम करवाएगी।

अंचलाधिकारी के इस बयान से किसान नाराज और गुस्से में हैं। मंगलवार को भारतीय किसान यूनियन के बिहार-झारखंड प्रदेश प्रभारी दिनेश कुमार सिंह, कैमूर जिला प्रभारी पशुपति सिंह पारस, औरंगाबाद जिला प्रभारी विकास सिंह, राष्ट्रीय मजदूर विकास मंच के अध्यक्ष मनोज कुमार सिंह, सचिव राजेन्द्र गुप्ता और दर्जनों गांवों के सैकड़ों किसान बेनी गांव पहुंचे।

किसान नेताओं ने किसानों को हौसला दिया और कहा कि निकहत परवीन के बयान से उनकी जमीनें सरकार की नहीं हो जाएंगी। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर सारी जमीनें सरकार की हैं तो सरकार उन्हें क्यों नहीं बेचती? और अगर किसान किरायेदार हैं, तो विस्थापित होने पर मुआवजा क्यों दिया जाता है?

किसानों ने सरकार से मांग की है कि निकहत परवीन की बहाली प्रक्रिया और कंपनी के साथ उनकी सांठगांठ की जांच की जाए और उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए।