धान के लम्बी अवधि कि प्रजातियों को लगाने से कम हो रहा रबी फसलों का उत्पादन- डॉ अनूप चौबे

FRIENDS MEDIA BIHAR DESK

औरंगाबाद। ग्रामीण कृषि मौसम सेवा परियोजना अंतर्गत किसान जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन ग्राम गोराडीहा, रफीगंज प्रखण्ड में कृषि विज्ञान केंद्र, सिरिस,  के द्वारा किया गया। इसमें बताते हुए केन्द्र के कृषि मौसम वैज्ञानिक डॉ अनूप कुमार चौबे ने किसानों को रबी फसलों को सही समय पर 15 अक्टूबर से 15 नवम्बर तक किसी भी हालत में बुआई करना चाहिए।लम्बी अवधि के धान का रोपाई करने के कारण धान की कटाई नवम्बर के अंतिम सप्ताह से लेकर के दिसम्बर के अंतिम सप्ताह तक हो रहा है। जिसके कारण दलहन (चना, मसूर और खेसारी) तथा सरसों की बुआई भी दिसम्बर में किसान भाई कर रहे है ।साथ ही गेंहूँ की बुआई जनवरी के प्रथम सप्ताह तक भी कर रहे है जिसके कारण रवी फसलो का उत्पादन कम हो रहा है। साथ ही जलवायु परिवर्तन के वजह से समय से बारिश का नहीं होना एवम तापमान का समय से पहले ही बृद्धि होने के कारण भी फसलों का उत्पादन कम हो रहा है। किसानों को मौसम अधारित खेती करने की सलाह भी दी जिससे किसान सभी मौसम में सही समय पर फसलों को बुआई करें जिससे उत्पादन में बढ़ोत्तरी हो सके ।

साथ हि रासायनिक खेती से प्राकृतिक, मिट्टी एवम मनुष्य के स्वास्थ्य में काफी गिरावट आ रही है। रसायनिक जैसे खाद एवं पेस्टिसाइड के उपयोग से मिट्टी की उर्वरक क्षमता घटती जा रही है। इसका असर उत्पादन पर पड़ रहा है और इसके खाद्दय पदार्थ से मनुष्यों और जानवरों के सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है । किसानों की पैदावार का आधा हिस्सा रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशकों में ही चला जाता है। इसलिए यदि किसान खेती में अधिक मुनाफा कमाना चाहता है तो उसे प्राकृतिक खेती को अपनाना होगा। साथ ही  भूमि की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के लिए प्राकृतिक खेती को आवश्यक बताया। कृषि अभियन्त्रण वैज्ञानिक डॉ निकिता मिश्रा ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए किसानों को कृषि में कृषि यंत्रों के प्रयोग एवं उनके लाभ के बारे में जानकारी दी साथ ही किसानों को दवा के छिड़काव में प्रयोग होने वाले विभिन्न प्रकार के नोजल वाले स्प्रेयर मशीन से खरपतवारनाशी, फफूंदनाशी, कीटनाशी दवा के छिड़काव के बारे में जकनकारी दी साथ ही मशीनों के रख रखाव और फसलों में ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई के लाभ के बारे में भी जानकारी दी ।कार्यक्रम का संचालन कृषि विज्ञान केन्द्र के मौसम पर्यवेक्षक आनंद कुमार ने किया  एवं धन्यबाद ज्ञापन श्री रणधीर सिंह जी ने किया कार्यक्रम में 50  किसान उपस्थित थे।

साथ हि रासायनिक खेती से प्राकृतिक, मिट्टी एवम मनुष्य के स्वास्थ्य में काफी गिरावट आ रही है। रसायनिक जैसे खाद एवं पेस्टिसाइड के उपयोग से मिट्टी की उर्वरक क्षमता घटती जा रही है। इसका असर उत्पादन पर पड़ रहा है और इसके खाद्दय पदार्थ से मनुष्यों और जानवरों के सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है । किसानों की पैदावार का आधा हिस्सा रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशकों में ही चला जाता है। इसलिए यदि किसान खेती में अधिक मुनाफा कमाना चाहता है तो उसे प्राकृतिक खेती को अपनाना होगा। साथ ही भूमि की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के लिए प्राकृतिक खेती को आवश्यक बताया। कृषि अभियन्त्रण वैज्ञानिक डॉ निकिता मिश्रा ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए किसानों को कृषि में कृषि यंत्रों के प्रयोग एवं उनके लाभ के बारे में जानकारी दी साथ ही किसानों को दवा के छिड़काव में प्रयोग होने वाले विभिन्न प्रकार के नोजल वाले स्प्रेयर मशीन से खरपतवारनाशी, फफूंदनाशी, कीटनाशी दवा के छिड़काव के बारे में जकनकारी दी साथ ही मशीनों के रख रखाव और फसलों में ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई के लाभ के बारे में भी जानकारी दी
कार्यक्रम का संचालन कृषि विज्ञान केन्द्र के मौसम पर्यवेक्षक आनंद कुमार ने किया एवं धन्यबाद ज्ञापन श्री रणधीर सिंह जी ने किया कार्यक्रम में 50 किसान उपस्थित थे।