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औरंगाबाद जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तत्वाधान में आगामी दिनांक 14 मई को आयोजित होने वाले राष्ट्रीय लोक अदालत की सभी तैयारियॉं पुरी कर ली गयी है, और इससे सम्बन्धित अधिसूचना जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह प्राधिकार के अध्यक्ष मनोज कुमार तिवारी द्वारा जारी किया गया है। अधिसूचना जारी होने के बाद अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह प्राधिकार के सचिव प्रणव शंकर द्वारा बताया कि व्यवहार न्यायालय, औरंगाबाद के लिए 07 बेंचों का गठन किया गया है जिसमें वादों का त्वरित निष्पादन किया जायेगा इसी प्रकार अनुमण्डलीय व्यवहार न्यायालय, दाउदनगर के लिए 04 बेंचों का गठन किया गया है जहां पर सुलहनीय वादों का निस्तारण की कार्रवाई की जायेगी।
सचिव ने बताया कि औरंगाबाद व्यवहार न्यायालय में राष्ट्रीय लोक में वादों के निष्पादन हेतु बेंच संख्या 01 पारिवारिक मामले एवं मोटर दुर्घटना वाद से सम्बन्धित मामलों के निष्तारण के लिए दिनेश कुमार प्रधान अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश न्यायिक सदस्य के रूप में तथा राघवेन्द्र तिवारी अधिवक्ता सदस्य के रूप में बेंच संख्या 02 पर जिले के सभी बैंकों के ऋण वाद हेतु मो0 शाद रज्जाक न्यायिक दण्डाधिकारी,प्रथम श्रेणी न्यायिक सदस्य के रूप में एवं मो0 निजामुद्दीन अधिवक्ता सदस्य के रूप में बेंच संख्या 3 पर मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी, एवं सभी अपर मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी के न्यायालय के समस्त सुलहनीय आपराधिक वाद हेतु राहुल किशोर, अपर मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी न्यायिक सदस्य तथा सुजीत कुमार सिंह अधिवक्ता सदस्य के रूप में, बेंच संख्या 04 पर अनुमण्डलीय न्यायिक दण्डाधिकारी, एवं सभी न्यायिक दण्डाधिकारी, प्रथम श्रेणी के न्यायालय के सभी सुलहनीय आपराधिक वाद एवं एनआईएक्ट से सम्बन्धित वाद के निष्पादन हेतु योगेश कुमार मिश्र न्यायिक सदस्य के रूप में एवं उदय कुमार मिश्र अधिवक्ता सदस्य के रूप में बेंच संख्या 05 पर न्यायिक दण्डाधिकारी कणिका शर्मा एवं शाद रज्जाक के न्यायालय के सभी सुलहनीय आपराधिक वाद के लिए कणिका शर्मा, न्यायिक दण्डाधिकारी न्यायिक सदस्य के रूप में एवं मधुसुदन वैद्य अधिवक्ता सदस्य के रूप में इसी तरह न्यायिक दण्डाधिकारी, नेहा, सचिन कुमार एवं सुदीप पाण्डेय के न्यायालय से सम्बन्धित सुलहनीय आपराधिक वाद के निष्तारण हेतु बेंच संख्या 06 पर सूश्री नेहा न्यायिक दण्डाधिकारी को न्यायिक सदस्य के रूप में तथा अंजनी कुमार सिंह को अधिवक्ता सदस्य के रूप में तथा बेंच संख्या 7 पर विद्युत, वन, श्रम, परिवहन, मापतौल, टेलीफोन तथा अन्य सभी दिवानी एवं आपराधिक सुलहनीय वाद के निस्तारण हेतु रविन्द्र कुमार अपर मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी को उक्त बेंच के लिए न्यायिक सदस्य के रूप में तथा सतीश कुमार स्नेही को अधिवक्ता सदस्य के रूप में वादों के निष्पादन हेतु प्रतिनियुक्त किया गया है। इसी तरह अनुमण्डलीय न्यायालय, दाउदनगर के लिए भी चार बेंच बनाया गया है जिसमें बेंच संख्या 08 में अनुमण्डलीय न्यायिक दण्डाधिकारी के न्यायालय का सभी तरह के सुलहनीय आपराधिक वाद एवं द0प्र0सं0 107 एवं 144 से सम्बन्धित मामलों के लिए आफताब आलम, अनुमण्डलीय न्यायिक दण्दाधिकारी, दाउदनगर को न्यायिक सदस्य के रूप में तथा दयानन्द शर्मा, को अधिवक्ता सदस्य के रूप में तथा बेंच संख्या 09 में अखिलेश प्रताप सिंह के न्यायालय का सभी तरह के सुलहनीय आपराधिक वाद तथा दूरभाष से सम्बन्धित वादों के लिए अखिलेश प्रताप सिंह, न्यायिक दण्डाधिकारी, प्रथम श्रेणी को न्यायिक सदस्य के रूप मे तथा अजीत कुमार को अधिवक्ता सदस्य के रूप में, दाउदनगर के लिए बेंच संख्या 10 जिसमें दिनेश कुमार के न्यायालय का सभी तरह के सुलहनीय आपराधिक वाद तथा न्यायकर्ता के न्यायालय का दिवानी वाद के लिए स्वयं दिनेश कुमार न्यायिक सदस्य के रूप मे तथा पवन कुमार रंजन अधिवक्ता सदस्य के रूप में तथा रविशंकर वर्शि विकास कुमार रंजन एवं सोनु सौरभ न्यायिक दण्डाधिकारी दण्डाधिकारी के न्यायालय से सम्बन्धित सुलहनीय आपराधिक वाद के लिए रविशंकर वर्शि एवं विकास कुमार रंजन न्यायिक दण्डाधिकारी को न्यायिक सदस्य के रूप में तथा प्रेमचन्द कुमार को अधिवक्ता सदस्य के रूप में प्रतिनियुक्त किया गया है। सचिव ने यह भी बताया कि विभिन्न न्यायालयों तथा बैंक ऋण से सम्बन्धित लगभग पॉंच हजार नोटिस पक्षकारों को तामिला करायी गयी है, जिसका साकारात्मक परिणाम मिलने की संभावना है।
सचिव द्वारा यह भी बताया गया कि कोई भी आवेदक अपना सुलहनीय वादों को राष्ट्रीय लोक अदालत में निष्पादन करवाने के इच्छुक हों तों उस दिन या उसके पूर्व में भी जिला विधिक सेवा प्राधिकार में अपना आवेदन देकर सम्बन्धित वाद को निष्तारण हेतु कार्रवाई कर सकते हैं। राष्ट्रीय लोक अदालत की तैयारियों के लिए सम्बन्धित न्यायालय एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा कई मामलों में पूर्व में प्रि-सीटिंग एवं प्रि-काउन्सेंलिंग की कार्रवाई की गयी है, जिसका परिणाम उत्साहजनक मिलने की संभावना है। राष्ट्रीय लोक अदालत सुलहनीय वादों का निस्तारण का एक सशक्त माध्यम है, इसका फायदा अधिक से अधिक लोग बिना कोई परेशानी और खर्चे के उठायें यही राष्ट्रीय लोक अदालत का उद्देश्य है।