AURANGABAD : “पेड़ बचाओ – पंछी बचाओ” का संदेश लेकर चिरैयाँटाँड गाँव में हुआ अनोखा कार्यक्रम

रिपोर्ट: विजय कुमार श्रीवास्तव (फ़्रेंड्स मीडिया)

औरंगाबाद – विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर चिरैयाँटाँड गाँव में एक प्रेरणा देने वाला, मिसाल जैसा आयोजन हुआ जिसमें न सिर्फ पौधों का वितरण हुआ बल्कि सौ लकड़ी के बनाए गए सुंदर घोषले पक्षी प्रेमियों में वितरित किए गए। यह कार्यक्रम पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक नई सोच और जनभागीदारी की मिसाल बन गया।

इस विशेष आयोजन की अगुवाई गुड़गांव स्थित अभास्त्रा टेक्नोलॉजी कंपनी के सीईओ और गाँव के ही निवासी सुमन शेखर ने की। कार्यक्रम में पर्यावरण के साथ-साथ स्थानीय जनसहभागिता का अद्भुत संगम देखने को मिला।

कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय किसान यूनियन औरंगाबाद के संयोजक वशिष्ठ प्रसाद सिंह ने की, जबकि मंच संचालन संजीत पांडेय ने किया।

मुख्य अतिथियों में कुटुम्बा प्रखंड प्रमुख धर्मेंद्र कुमार एवं नबीनगर के प्रखंड विकास पदाधिकारी अरुण कुमार सिंह उपस्थित रहे। दोनों ने पौधारोपण कर पर्यावरण के संरक्षण का संदेश दिया। साथ ही डेढ़ सौ से अधिक ग्रामीणों को भी वृक्षारोपण का संकल्प दिलाकर उन्हें पौधे वितरित किए गए।

पक्षी प्रेमियों के लिए सौगात – सौ सुंदर घोषले

इस कार्यक्रम का सबसे बड़ा आकर्षण रहा – लकड़ी से बनाए गए 100 सुंदर चिड़ियों के घर (घोंसले), जो स्थानीय पक्षी प्रेमियों को वितरित किए गए। आयोजक सुमन शेखर ने बताया –

“बचपन से ही मुझे पेड़ लगाने का शौक है और पिछले पाँच सालों से मैं पक्षियों के लिए घोंसले लगवाने का काम भी कर रहा हूँ।”

सुमन शेखर के पिता राजकुमार सिंह, जो खुद एक पर्यावरणविद् हैं, ने अब तक 250 से अधिक पीपल के पेड़ लगा चुके हैं। संयोगवश, कार्यक्रम के दिन उनका जन्मदिन भी था, जिसे पूरे गाँव ने “हरित जन्मदिन” के रूप में मनाया।

प्रकृति के लिए उठते कदम – प्रेरणादायक वक्तव्य

प्रखंड विकास पदाधिकारी अरुण कुमार सिंह ने बताया –

“एक पीपल का वृक्ष प्रतिदिन 25 लीटर ऑक्सीजन देता है जिसकी कीमत ₹350 प्रति लीटर है। सालभर में एक पीपल का पेड़ करीब ₹32 लाख की ऑक्सीजन देता है।”

सिन्हा कॉलेज औरंगाबाद के विज्ञान प्रोफेसर रजनीश कुमार ने कहा –

“एक विद्यालय खोलना जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी है एक पीपल का वृक्ष लगाना, क्योंकि वह सौ लोगों को जीवन देता है।”

प्रखंड प्रमुख धर्मेंद्र कुमार ने गौरैया चिड़ियों की घटती संख्या पर चिंता जताई और बताया कि कैसे गौरैया कीट-पतंगों को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाती है।

राजकुमार सिंह ने अपनी बात में कहा –

“अगर दुनियाँ में एक भी मंदिर, मस्जिद या चर्च न हो तो जीवन चल जाएगा, पर अगर एक भी पेड़ न हो तो कोई नहीं बचेगा। असली मंदिर तो पेड़ हैं।”

सम्मान व संकल्प – युवा पीढ़ी का योगदान

कार्यक्रम में चिरैयाँटाँड और आस-पास के गाँवों के तीन दर्जन से अधिक युवाओं को पर्यावरण संरक्षण का संकल्प दिलाया गया और अभास्त्रा टेक्नोलॉजी की ओर से उन्हें सम्मान पत्र भी प्रदान किया गया।

उल्लेखनीय उपस्थिति

इस आयोजन में बमेंद्र सिंह (रक्तवीर), जयप्रकाश सिंह, डॉ. मनोज सिंह, विनय सिंह, शैलेन्द्र कुमार सिंह, विजेंद्र मेहता, बीरेंद्र मेहता, रामाश्रय सिंह, नंदकिशोर सिंह, रवि सिंह, मनीष सिंह, अखिलेश सिंह, मुरारी सिंह सहित सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित रहे।


निष्कर्ष: एक गाँव से उठी हरियाली की लहर

चिरैयाँटाँड गाँव का यह कार्यक्रम सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि एक आंदोलन है – प्रकृति को लौटाने का, पक्षियों को घर देने का, और आने वाली पीढ़ी को एक सांस लेने लायक भविष्य देने का। यह आयोजन सचमुच में पर्यावरण प्रेमियों और समाज को नई दिशा देने वाला प्रेरणादायक उदाहरण बन गया।