मुफ्त विधिक सेवा से काराधीन बंदी को मिली राहत, 10 साल बाद खुली रिहाई की राह -“हर व्यक्ति तक पहुंचे न्याय” — सचिव तान्या पटेल

औरंगाबाद। न्याय की राह भले लंबी हो, लेकिन जिला विधिक सेवा प्राधिकार (DLSA) के प्रयास से अब यह राह आम लोगों के लिए आसान बनती जा रही है। मुफ्त विधिक सेवा प्रतिरक्षा प्रणाली के तहत अम्बा थाना कांड संख्या 82/2015 से जुड़े एक बंदी को आखिरकार राहत मिली है।

मामला राम लखन चौधरी बनाम संतोष पासवान उर्फ बिहारी पासवान, ग्राम कसौटी, थाना अम्बा, जिला औरंगाबाद का है। आरोपी पर सूचक के भाई राम नंदन चौधरी की हत्या करने का आरोप था, जिसके तहत उसके खिलाफ धारा 302 भारतीय दंड संहिता के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। तब से आरोपी जेल में था।

विधिक सहायता प्रणाली बनी सहारा

समय बीतने के साथ आरोपी के निजी अधिवक्ता ने वाद से हाथ खींच लिया। ऐसे में जिला विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा मार्च 2025 के प्रथम सप्ताह में अधिवक्ता श्री अभिनंदन कुमार (उप प्रमुख, विधिक सहायता प्रतिरक्षा प्रणाली) को इस मामले में बचाव हेतु नियुक्त किया गया।

श्री कुमार ने वाद की बारीकी से पैरवी करते हुए अभियोजन के गवाहों को न्यायालय में प्रस्तुत कराया और कानूनी दृष्टिकोण से मामले को धारा 302 से घटाकर 304(2) में परिवर्तित कराने में सफलता प्राप्त की।

सजा सुनाई गई, लेकिन मिली राहत की उम्मीद

अंततः न्यायालय ने अभियुक्त को धारा 304(2) के तहत 9 वर्ष 6 माह की सजा और ₹5000 का जुर्माना लगाया। जुर्माना न देने की स्थिति में 6 माह की अतिरिक्त सजा का भी आदेश दिया गया। हालांकि, अभियुक्त पहले से ही लगभग 10 वर्ष जेल में बिता चुका है, ऐसे में अब उसकी जल्द रिहाई की संभावना बन गई है।

न्यायालय और विधिक सेवा प्राधिकरण का आभार

सजा सुनने के बाद अभियुक्त ने न्यायालय के प्रति सम्मान जताते हुए आभार व्यक्त किया।
अभियोजन की ओर से इस वाद में सहायक लोक अभियोजक श्री बिगु प्रसाद ने पक्ष रखा।

“हर व्यक्ति तक पहुंचे न्याय” — सचिव तान्या पटेल

जिला विधिक सेवा प्राधिकार की सचिव श्रीमति तान्या पटेल ने बताया कि मुफ्त विधिक सेवा प्रतिरक्षा प्रणाली समाज के कमजोर और जरूरतमंद लोगों को न्याय दिलाने के लिए लगातार कार्यरत है।
उन्होंने कहा —

“जो भी व्यक्ति अपने मुकदमे में अधिवक्ता का खर्च वहन नहीं कर सकता, वह जिला विधिक सेवा प्राधिकार से निःशुल्क विधिक सहायता प्राप्त कर सकता है। यह सेवा पूरी तरह मुफ्त है।”

समाज के हर तबके तक न्याय पहुँचाने की दिशा में जिला विधिक सेवा प्राधिकार औरंगाबाद का यह कदम एक सशक्त उदाहरण बनता जा रहा है।