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औरंगाबाद जिले में सुहागिन महिलाओं द्वारा धूमधाम से वट वृक्ष की पूजा -अर्चना कर सावित्री पूजा मनाई गई । शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में भी वट वृक्ष के नीचे अहले सुबह से ही सुहागिनों की भीड़ देखने को मिली । आज के दिन अखंड शौभाग्यवती होने एवं पति के स्वास्थ के लिए सुहागिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती है। इसके लिए महिलाएं सुबह से ही उपवाश रहकर वट वृक्ष में फेरी लगा कर धागा बांधती नजर आयी । साथ ही वृक्ष के आयु की तरह अपने पति की लम्बी उम्र की कामना की। औरंगाबाद के अलग अलग जगहों पर जहां सुबह से ही पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महिलाये वट वृक्ष की पूजा करने में महिलाएं जुटी रही। वहीं पंडितों द्वारा वट सावित्री की कथा पूरी श्रद्धा के साथ सुनी।
बताया जाता है की पतिवर्ता स्त्री सावित्री ने अपने पति की प्राण हरने आये यमराज से जिद्द कर वट वृक्ष के निचे ही अपने पति के प्राण बापस लौटा ली थी । उसी पौराणिक कथाओ पर आज भी महिलाए व्रत कर वट वृक्ष की पूजा करती है और अपने पति के सुहाग को अमर रहने की कामना करती है । पूजा विधि की बात करे तो इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर घर के मंदिर में दीप जलाए जाते हैं । इस पावन अवसर पर वट वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व होता है।वट वृक्ष के नीचे सावित्रि और सत्यवान की मूर्ति को रखकर मूर्ति और वृक्ष पर जल अर्पित करती है इसके बाद सभी पूजन सामग्री अर्पित करते हुए लाल कलावा को वृक्ष में सात बार परिक्रमा करते हुए बांधती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हिंदू धर्म में वट सावित्री की पूजा एवं उपवास का बहुत महत्व है।