दो साल कोरोना काल से मायूस छठव्रती इस बार पूरी लगन व आस्था के साथ छठवर्त करने में जुटे हैं ।औरंगबाद जिले में स्थित सूर्यनगरी देव में चैती छठ पर्व में अस्ताचलगामी भगवान भाष्कर को अर्द्धय देने के लिए श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा है। श्रद्धालु पवित्र सुर्यकुंड में डुबकी लगाकर बड़ी ही आस्था और विश्वास के साथ सुर्यदेव को नमन कर उन्हें अद्धर्य अर्पित किया । इस छोटी सी नगरी देव में इतने भारी तादाद में श्रद्धालुओं के पहुंचने की वजह से जिला प्रशासन को थोड़ी परेशानियां तो जरूर हो रही है ,मगर भगवान भाष्कर की कृपा से बगैर किसी बाधा के छठव्रती इस अनुष्ठान को सम्पन्न कर रहे हैं । अद्धर्य अर्पण के बाद व्रती पवित्र सुर्यकुंड से लेकर त्रेतायुगीन सुर्यमंदिर तक दण्डवत देते हुये पहुंचे और भगवान भाष्कर का दर्शन पूजन कर खुद को भाग्यशाली समझ रहे हैं । इस अवसर पर सूर्यमन्दिर को आकर्षक रूप से सजाया गया है ।
गौरतलब है कि देव में छठ पूजन का एक अलग ही महत्व है । ऐसी मान्यता है कि जो कोई भी सच्चे मन से और श्रद्धा भाव से यहां छठ पूजा का अनुष्ठान करता है , सूर्यनारायण उनकी अराधना अवश्य पुरी करते हैं । यही वजह है कि यहां बड़ी संख्या में छठव्रती पहुंचते हैं और भगवान भाष्कर से मन्नतें भी मांगते हैं । गौरतलब है कि भगवान भास्कर की आध्यात्मिक सूर्य नगरी देव में छठ पर्व का विशेष महत्व है।क्योंकि यहाँ स्थापित भगवान सूर्य का मंदिर हिंदुस्तान के 12 सूर्य मंदिरों में एक है और यह देवार्क के नाम से जाना जाता है।देश के सभी 11 सूर्य मंदिर का मुख्य द्वार पूर्वाभिमुख है परंतु देव का सूर्य मंदिर एक ऐसा अनोख सूर्य मंदिर है जो पूर्वाभिमुख न होकर पश्चिमाभिमुख है।
इसके पीछे भी कई किवंदतियां हैं जिसमे प्रमुख यह है कि आताताइयों के आक्रमण से सूर्य मंदिर को बचाने के लिए धर्मानुरागियों के द्वारा की गई तपस्या से मंदिर का मुख्य द्वार एक ही रात में पूर्व से पश्चिम की तरफ हो गया।यहां भगवान सूर्य अपने तीन स्वरूप अस्ताचल,मध्याचल एवं उदयाचल सूर्य के रूप में स्थापित है।सूर्य की महिमा अपरंपार है जिसको देखते हुए यहां वर्ष में कार्तिक और चैत्र माह में होनेवाली छठ पर्व को लेकर लगभग 10-15 लाख श्रद्धालु यहां आकर छठ व्रत करते है और सूर्यकुंड तालाब में अर्घ्य समर्पित कर अपनी अटूट आस्था प्रदर्शित करते है।
सूर्यकुंड तालाब की भी है अलग मान्यता
स्थानीय लोगों का भी कहना है कि यहां छठ करने से व्रति और श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूर्ण होती है। सूर्यकुंड तालाब में स्नान कर भगवान सूर्य का दर्शन करते हैं। यहां इस तालाब से भी मान्यता जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि इसमें स्नान करने के बाद भगवान भास्कर की पूजा करने से कुष्ठ रोग दूर होता है। इस बार गर्मी भी काफी पड़ रही है। पारा लगभग 40 डिग्री के बावजूद भी कई जिले व राज्य से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां छठ करने पहुंचे हैं। जिला प्रशासन की टीम मुस्तैद है । श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कोई कठिनाई का सामना न करना पड़े इसके लिए जिला प्रशासन की ओर से हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध कराई गयी है ।
भारी संख्या में सुरक्षा कर्मियों के अलावा , जगह जगह पर पानी , लाइट , मेडिकल की व्यवस्था , पूछताछ केंद्र , अग्निशमन , एनडीआरएफ की टीम इत्यादि के अलावा पूरे मेले पर सीसीटीवी कैमरे से नजर रखी जा रही । वही उदयगामी सूर्य को अर्ध्य देने के बाद पर्व की समाप्ति होगी । बता दें कि दो वर्ष कोरोना काल होने के कारण जहां इस मंदिर परिसर में सन्नाटा पसरा हुआ था वहीं श्रद्धालु भी मायूस थे । यही कारण है इस इतनी श्रद्धालुओं की भीड़ हुई ।
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