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औरंगाबाद जिले में दिन प्रतिदिन कांड के अनुसंधान कर्ताओं व अधिकारियों के द्वारा लापरवाही बरतने के मामलें सामने आ रहे हैं। जिसके कारण न्यायालय में कई कांड वर्षों से लंबित है। यही कारण है कि न्यायालय द्वारा ऐसे लापरवाह लोगों को न सिर्फ फटकार लगाई जाती है बल्कि समय समय पर उनके वेतन रोकने का का भी आदेश जारी कर दिया जाता है। ऐसे में एक बारह वर्ष पुराने मामले में जिला शिक्षा पदाधिकारी का वेतन तत्काल प्रभाव से रोकने का आदेश न्यायालय के द्वारा दिया गया है। बुधवार को न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी मनीष कुमार पाण्डेय ने खुदवा थाना 39/12 और ट्रायल 861/21 में सुनवाई करते हुए जिला पदाधिकारी और कोषागार पदाधिकारी को यह आदेश दिया है कि तत्काल प्रभाव से जिला शिक्षा पदाधिकारी का वेतन रोका जाए।
अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि एक किशोर का अंक प्रमाण पत्र के छायाप्रति में जन्म तिथि के सत्यता के जांच सात दिनों के कर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का आदेश 24 फरवरी 22 को किशोर न्याय परिषद द्वारा हुआ था किन्तु आज तक जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत नहीं किया गया। न्यायधीश ने इसे गंभीरता से लेते हुए जिले के एक प्रधान अधिकारी का गंभीर लापरवाही मानते हुए एक बड़ा निर्णय लिया क्योंकि वाद 12 साल पुराना है। गौरतलब है कि इससे पूर्व भी समय पर दैनिक प्रतिवेदन नही देने पर कई अनुसंधान कर्ता के वेतन पर रोक लगाई गई है।