BIHAR : “सूदखोरी के जाल में फंसी गरीब महिलाएं, समूह लोन बना रहा घरेलू हिंसा व आत्महत्या का कारण”

विजय श्रीवास्तव

पटना/औरंगाबाद
गरीबी से जूझ रही असहाय महिलाएं अब समूह लोन के नाम पर फाइनेंस कंपनियों की सूदखोरी का शिकार बन रही हैं। कर्ज के चक्रव्यूह में फंसी ये महिलाएं आत्मसम्मान बचाने के लिए गलत कदम उठाने को मजबूर हो रही हैं, तो कहीं घरेलू हिंसा भी बढ़ रही है।

कैसे फंसाया जा रहा जाल में?
ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में प्राइवेट फाइनेंस कंपनियां छोटे समूह बनाकर महिलाओं को कम ब्याज दर पर लोन देने का लालच देती हैं। कुछ महिलाएं पशु पालन, दुकान या घर खर्च के लिए पैसे लेने को तैयार हो जाती हैं। शुरू में आसान शर्तें और कागज का झंझट न होने का दावा कर पैसा दे दिया जाता है। लेकिन जैसे ही किश्तें चुकाने में देरी होती है, वसूली एजेंट घर पर जाकर गाली-गलौज, बेइज्जती और परिवार पर मानसिक दबाव बनाना शुरू कर देते हैं।

आत्महत्या तक की नौबत
बीते कुछ महीनों में बिहार और झारखंड के कई जिलों में ऐसी घटनाएं सामने आई हैं जहां किश्त न दे पाने पर महिला और परिवार मानसिक रूप से टूट गए। कुछ मामलों में महिलाओं ने आत्महत्या तक कर ली।

सरकारी बैंकों की लापरवाही भी जिम्मेदार
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि सरकारी बैंक आसानी से लोन देते तो गरीब परिवार प्राइवेट फाइनेंस कंपनियों के जाल में नहीं फंसते। लेकिन बैंक में लोन के लिए महीनों चक्कर लगवाए जाते हैं, भाषा कठिन होती है, प्रक्रिया लंबी होती है। थक-हार कर गरीब परिवार फाइनेंस कंपनियों की ओर भागते हैं और फंस जाते हैं।

आर्थिक तंगी के बीच आत्मसम्मान की लड़ाई
गरीब महिलाएं किश्त नहीं दे पाने पर आत्मसम्मान की लड़ाई लड़ती हैं, क्योंकि वसूली एजेंट पूरे मोहल्ले में बेइज्जती कर देते हैं। कई बार महिलाएं घर से बाहर निकलना बंद कर देती हैं, बच्चों की पढ़ाई रुक जाती है, परिवार का शांति भंग हो जाता है।

क्या कहती हैं महिलाएं?
“हमें कहा गया था कि 20 हजार का लोन सिर्फ 200 रुपये हफ्ते की किश्त में देना होगा। हम बीमार पड़ गए, किश्त नहीं दे सके तो हमारे घर आकर चिल्लाया गया, हमसे पहचान की बात की गई। अब पूरे गांव में लोग मजाक उड़ाते हैं।” – एक पीड़ित महिला, औरंगाबाद।
“बैंक लोन नहीं देता, कागज और गारंटी मांगता है। हमारे पास गारंटी कौन देगा? मजबूरी में समूह लोन लिया, अब घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है।” – पीड़ित महिला, नवादा।

सरकार और प्रशासन से सवाल
1️⃣ क्या गरीबों को लोन देने की सरकारी योजनाएं कागजों में ही सिमट कर रह जाएंगी?
2️⃣ क्या प्राइवेट फाइनेंस कंपनियों की सूदखोरी पर कार्रवाई होगी?
3️⃣ क्या समूह लोन के नाम पर महिलाओं का शोषण रोकने के लिए प्रशासन सख्त कदम उठाएगा?

जरूरत है सरकार के दखल की
सरकार को चाहिए कि प्राइवेट फाइनेंस कंपनियों की निगरानी के लिए विशेष टीम बनाकर जांच कराए, महिलाओं को आसान शर्तों पर बैंक लोन उपलब्ध कराने की व्यवस्था करे और जागरूकता अभियान चलाए। ताकि गरीब परिवार सूदखोरी के जाल में फंसकर अपनी जान न गंवाएं।